पंतप्रधान श्री नरेंद्र मोदीजीके हस्ते होणे वाले रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को हिंदूवोंके वर्तमान के चारोही शंकराचार्योने नही आने का बडा फैसला किया है। यह है हिन्दुवोके शंकराचार्य जिन्होने रामलला कि मूर्ती के प्राणप्रतिष्ठा समारोह नही जाणे का फैसला किया है।
पहले शंकराचार्य पश्चिमी मठ, द्वारिका पीठ जो कि द्वारिका में स्थित है। गुजरात में द्वारकाधाम में शारदा मठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती है। दुसरे शंकराचार्य उत्तर मठ, जो कि जोशीमठ में स्थित है। उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद है। तिसरे शंकराचार्य पूर्वी मठ, जो कि पुरी में स्थित है। जिसके वर्तमान शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी है। चौथे शंकराचार्य दक्षिणी मठ, जो दक्षिण भारत के श्रृंगेरी मठ, कर्नाटक में तुंगा नदी के तीर पर स्थित है स्थित है। जिसके वर्तमान शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ हैं।
इन सभी शंकराचार्योंको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी ने आवाहन किया है कि “सभी ने इस पावन कार्यक्रम में शामिल होणा चाहिये, इसमे मान-अपमान जैसे या श्रेय कि जैसी कोई चीज नही रहणी चाहिये। इसके आगे उन्होने ऐसे भी कहा कि चाहे मैं रहू, देश का सामान्य नागरिक रहे या शंकराचार्य हो, राम से बड़ा कोई नहीं।”
इसपर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने कहा कि “हमने किसी भी आमंत्रण को इन्कार नही किया है और राम मंदिर के ट्रस्टने हमे क्यो आमंत्रित नही किया वो उनका अपना प्रश्न है, उन्होने बाकी तीन शंकराचार्योंको आमंत्रित किया है या नही ये भी मुझे मालूम नही है। हमें निमंत्रण मिलने की उम्मीद नहीं है. अगर हमें निमंत्रण मिलेगा तो भी हम उस समारोह में नहीं जायेंगे।”
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