क्या है नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य?? History behind Mystery of Subhas Chandra Bose’s Death.

History behind Mystery of Subhas Chandra Bose's Death.

एक ऐसे इंसान की दास्ता जिन्होंने इतनी कमाल की चीजें कर थी अपनी जिंदगी में बार-बार फेस बदलकर कैसे उन्होंने अलग-अलग देशों को चकमा दिया। एक देश से दूसरे देश गए वो एक आर्मी बनाने के लिए कभी सबमरीन में बैठे, तो कभी हवाई जहाज में उड़े यह कहानी किसी सुपर हीरो की कहानी से कम नहीं थी।

1. शौलमरी बाबा थेरी
कुछ लोग तो खुद नेताजी के साथी ही थे एक “सुभाष वादी जनता” करके एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई जाती है। इन कुछ साथियों के द्वारा जो मानने से ही इंकार कर देते हैं इस लेन क्रैश थ्योरी में इनकी क्रोनोलॉजी के अनुसार नेताजी हिंदुस्तान आकर एक सन्यासी बन गए थे। उन्होंने 1948 में गांधी जी के क्रमश को भी अटेंड किया था। अपना भेस बदलकर और उसके बाद वो 1956 से 1959 के बीच तक योगी बनकर बरेली के एक शिव मंदिर में रहते थे। यहां पर वो जड़ी बूटियों के एक्सपर्ट बने और ट्यूबरकुलोसिस का इलाज तक भी उन्होंने खोज डाला। 1959 में फिर नेताजी जाकर बंगाल के जल पैगड़ा शौल मरी आश्रम का स्थापन किया और खुद को श्रीमद सरानंद जी कहकर बुलाने लगते हैं। ये आश्रम एक्चुअली में एजिस्ट करता था और यह बाबा भी असली में थे 1960 में कंस्पिरेशन थ्योरी इतनी ज्यादा फैली कि शौल मरी बाबा को खुद खड़े होकर बोलना पड़ा कि वह नेताजी नहीं है

2. दूसरी कंस्पिरेशन थ्योरी कुछ और नेताजी के एसोसिएट्स के द्वारा बनाई गई कि एक्चुअली में वो प्लेन लैंड कर गया था और वह सोवियत यूनियन पहुंचे थे लेकिन सोवियत में नेताजी को रशियंस के द्वारा कैप्चर कर लिया जाता है। फिर कंसंट्रेशन कैंप्स में टॉर्चर किया जाता है। उनके साथ इस चीज को रशियंस प्रधानमंत्री नेहरू के खिलाफ एक लेवरेज के तौर पर इस्तेमाल करते हैं इनफैक्ट ना सिर्फ नेहरू को बल्कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी वो धमकी देते हैं। इस चीज को लेकर रशियंस कहते हैं कि अगर इंडिया सोवियत की साइड नहीं लेगा तो वह नेताजी को जेल से रिहा कर देंगे और पूरी खबर फैला देंगे।

3. गुमनामी बाबा की थ्योरी
सबसे पॉपुलर थ्योरी है इनको लेकर ये है गुमनामी बाबा की थ्योरी। हार्वर्ड प्रोफेसर सुगाता बोस जो नेताजी के ग्रैंड नेफ्यू है, इन्होंने अपनी 2011 की किताब हिज मेजेस्टीज ओपोनं -सुभाष चंद्र बोस एंड इंडिया स्ट्रगल अगेंस्ट एंपायर में मेंशन किया था कि साल 2002 में जुडिशरी ने इनसे कहा कि वह 1 मिलीलीटर खून अपना डोनेट करें ताकि किसी गुमनामी बाबा के साथ उनका डीएनए मैच करके देखा जा सके। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग क्लेम कर रहे थे कि कोई एक गुमनामी बाबा ही नेताजी है और यह 2002 की बात है 57 इयर्स हो चुके थे नेताजी के दंतकथा को इनका परिवार बड़ा हैरान था। देखकर कि सरकारी इंस्टट्यूशन भी इस थ्योरी को प्रमोट कर रहा है लेकिन फिर भी इन्होंने अपना खून डोनेट कर दिया। ऑफकोर्स जो एविडेंस वहां पर निकला वो नेगेटिव था कोई डीएनए मैच नहीं था। लेकिन फिर भी गुमनामी बाबा की थ्योरी आज तक चर्चा में है सोशल मीडिया पर चर्चित है।

सच क्या है

  1. फिगस रिपोर्ट
    पहली है फिग स रिपोर्ट साल 1946 की यह ब्रिटिश के द्वारा की गई इन्वेस्टिगेशन थी लॉर्ड माउंट बैटन के अंडर इंटेलिजेंस ऑफिसर कर्नल जॉन फिग्स को काम दिया गया कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की डेथ को इन्वेस्टिगेट करें। फिग ने अपनी रिपोर्ट 25 जुलाई 1946 को सबमिट करी। काफी दशकों तक यह रिपोर्ट कॉन्फिडेंशियल बनी रही लेकिन आज के दिन यह पब्लिक के सामने अवेलेबल है। यह रिपोर्ट चार चीजें कंफर्म करती है।
    1. पहला कि एक प्लेन क्रैश हुआ था 18 अगस्त 1945 को ताई होक एयरपोर्ट के पास।
    2. दूसरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस प्लेन में बैठे थे।
    3. तीसरा नेताजी का देहांत पास के मिलिट्री हॉस्पिटल में सेम ही दिन हुआ और
    4. चौथा उन्हें क्रीमेट किया गया ताइहोकू में और बाद में उनके अस्थीको टोक्यो भेजा गया। इस रिपोर्ट में सबसे इंपॉर्टेंट टेस्टिमोनी ली गई थी। एक जैपनीज डॉक्टर तोयश सुरूट नामन हॉस्पिटल में उस दिन काम कर रहे थे वही हॉस्पिटल जहां पर नेताजी को क्रैश के बाद ले जाया गया। इस रिपोर्ट में लिखा है कि नेताजी ने डॉक्टर से इंग्लिश में पूछा था कि क्या वो इनके साथ रात भर रहेंगे लेकिन शामके 7:00 बजे के करीब वो एक रीलैब्स से सफर करते हैं और डॉक्टर दोबारा से उन्हें कैंपर इंजेक्शन देते हैं लेकिन उसके बावजूद भी उनका देहांत हो जाता है।
  2. गुमनामी बाबा
    दूसरी मेजर इंक्वायरी बिठाई गई साल 1956 में और यह इंडियन गवर्नमेंट की तरफ से पहली इंक्वायरी थी। द शाहनवाज कमेटी इस कमेटी को लीड किया जा रहा था शाह नवाज खान के द्वारा वही आईएएनए के ऑफिसर जिन्हें ट्रायल पर रखा गया था रेडफोर्ट में। लेकिन इस कमेटी में दो और नोटेबल मेंबर्स थे। एसएन मात्रा-वेस्ट बेंगाल सरकार के एक सिविल सर्वेंट और सुरेश चंद्र बोस-नेताजी के बड़े भाई। अप्रैल और जुलाई 1956 के बीच में इस कमेटी ने 67 विटनेसेस को इंटरव्यू किया। इंडिया, जापान, थाईलैंड, वियतनाम वो लोग जो क्रैश से पहले नेताजी से मिले थे, वो लोग जो क्रैश को सर्वाइव कर गए थे टोटल में सात लोग थे। जिन्होंने इस प्लेन क्रैश को सरवाइव किया और इस कमेटी ने उनमें से पांच के के साथ जाकर इन पर्सन इंटरव्यू लिया। साथ ही साथ एक एडिशनल डॉक्टर डॉक्टर योशीमी जो सर्जन थे उस हॉस्पिटल में जिन्होंने नेताजी को उनके फाइनल आवर्स में ट्रीट किया था उनका भी इंटरव्यू लिया गया।
    इस पूरी इंक्वायरी के बाद एक तीन पेज की ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाई जाती है जिसमें तीन मेजर पॉइंट्स होते हैं पहला 18 अगस्त को ताईहोक में एक प्लेन क्रैश हुआ था जहां पर नेताजी का देहांत हुआ दूसरा उन्हें वहीं पर क्रीमेट किया गया और तीसरा उनके एस को टोक्यो के रेन कोजी मंदिर में ले जाया गया और वहां पर वो रखे हैं लेकिन अजीब चीज यहां पर यह थी कि इन तीन में से एक इंसान कमेटी के नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस उन्होंने फाइनल रिपोर्ट पर साइन करने से मना कर दिया। उन्होंने एक नोट लिखा जिसमें उन्होंने शाहनवाज और नेहरू को ब्लेम किया कि क्रुशल एविडेंस को यहां पर विद होल्ड किया जा रहा है। उनके अनुसार यह कमेटी जबरदस्ती प्रूफ करना चाह रही थी कि नेताजी का देहांत इस प्लेन क्रैश में हुआ था। 181 पेज की जो फाइनल रिपोर्ट बनाई गई थी उसमें अगर दो से ज्यादा स्टोरीज विटनेसेस की एक दूसरे से मैच नहीं करती तो पूरी टेस्टिमोनी एक विटनेस की फॉल्स कंसीडर की जानी चाहिए। इसी बेसिस पर सुरेश चंद्र बोस ने कहा कि कोई क्रैश नहीं हुआ था। उनके भाई अभी भी जिंदा हैं और यह कमेटी की रिपोर्ट सही नहीं है।
  3. मुखर्जी कमीशन
    1999 में जब बीजेपी की नई सरकार बनती है तो वो सरकार डिसाइड करती है कि नयी एक और इन्वेस्टिगेशन होनी चाहिए। इस चीज में सरकार के द्वारा एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज मनोज कुमार मुखर्जी को अपॉइंटमेंट करने के लिए और कुछ इस तरीके से फॉर्मेशन होती है। मुखर्जी कमीशन की इस कमीशन में 100 से ज्यादा फाइलों को इन्वेस्टिगेट किया जाता है। जापान जाया जाता है, रशिया ताइवान फिर से जाया जाता है.  गुमनामी बाबा की थ्योरी को लेकर डीएनए टेस्ट करवाया जाता है। वही डीएनए टेस्ट जिसकी मैंने वीडियो में पहले बात करी थी लेकिन ये डीएनए टेस्ट फेल साबित होता है मगर इस रिपोर्ट का जो असली मकसद था वो यह कोशिश थी कि किसी तरीके से साबित किया जाए कि यह प्लेन क्रैश की थ्योरी गलत है। और इस प्लेन क्रैश की थ्योरी को गलत प्रूफ करने के लिए कई क्लेम्म कर्जी रिपोर्ट में पहला यह कहा जाता है कि हबीबुर रहमान ने कहा कि यह प्लेन 12000 फीट से नोज डाइव की और क्रैश किया। तो यह सवाल उठाया जाता है कि ऐसे केस में तो किसी का भी सरवाइव होना पॉसिबल ही नहीं होगा। यानी यह पूरी थ्योरी झूठी है लेकिन यह 12000 फीट का फिगर कहां से आया किसी को नहीं पता क्योंकि हबीबुर रहमान ने तो कभी ऐसा कहा ही नहीं। और जब तक यह मुखर्जी कमीशन बना था अब तक हबीबुर रहमान का नेचुरल कॉसेस से देहांत ऑलरेडी हो चुका था मुखर्जी कमीशन कंक्लूजन करी थी सागौन से लेकिन क्रैश कभी नहीं करी इनका कहना था कि नेताजी अभी भी जिंदा होंगे क्योंकि कहीं ना ही कहीं हॉस्पिटल में ना ही किसी क्रेमोरिस मिले हैं। उनकी डेथ को लेकर यहां पर यह बात सोचने वाली है कि इस पॉइंट ऑफ टाइम तक ऑलरेडी 55 साल गुजर चुके थे। इस प्लेन क्रैश के इंसीडेंट से और यह सब कहने के बाद भी मुखर्जी कमीशन ने अपनी कोई अल्टरनेट थ्योरी प्रेजेंट नहीं करी। ये नहीं बताया कि प्लेन क्रैश नहीं हुआ तो क्या हुआ होगा तीसरा इस रिपोर्ट में कहा गया कि जो मंदिर है जापान में, जहां पर नेताजी के अस्तिया हैं वो एक्चुअली में नेताजी के अस्तिया नहीं बल्कि एक जैपनीज सोल्जर के अस्तिया है। लेकिन उस मंदिर के चीफ प्रीस्ट ने जब कहा कि डीएनए टेस्ट करवा लो देख लो तो जस्टिस मुखर्जी ने टेस्ट नहीं करवाया ।
Divya Berkile

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